यूथ ,सेक्स और स्पिरिचुअलिटी




सेक्स - ये आज के भारत का सबसे बड़ा टेबू हे (यानिकि जिसके बारेमे आप खुलकर बात नहीं कर सकते , ज़िज़क महसूस करते हे ) परन्तु दूसरी और यह  छोटे से बड़े सबमें रोमांच जगाने वाला हे।  सेक्स शब्द सुनते ही आस पास खुसुर फुसुर चालू हो जाती हे और सबके मन में लड्डू फुटने लगते हे। 
एक समय था जब भारत के लोगो में सम्भोग के प्रति रूचि पैदा करने हेतु कामसूत्र की रचना की गई और खजुराहो की कामुक मुर्तिया बनाई गई।  परन्तु इंटरनेट की बदौलत आज ५०-६० % लोग और ज्यादातर युवा अपनी वासना कैसे काबू करे उसके तरीके ढूंढ रहे हे। 
इंटरनेट की सुविधा आपको घर बैठे ज्ञान की गंगा बहा सकता हे परन्तु अंदाजन ७० % लोग इसका इस्तेमाल सिर्फ सोशियल मिडिया और पोर्न वेब साइटस देखने में कर रहे हे.
हल ही में एक समाचार पत्र में प्रकाशित हुए रिपोर्ट के अनुसार बिहार के पटना रेलवे स्टेशन पर उपलब्ध मुफ्त के वाई फाइ का ७० % डाटा सिर्फ अश्लील वेब साइट्स और वीडियोस देखने में उपभोग किया गया। 
ये बहुत चिंता का विषय हे की ७-८ कक्षा की उम्र से ही ज्यादातर बच्चे पोर्न देखने लग गए हे।
नेटफ्लिक्स , अमेज़न प्राइम , ऑल्ट बालाजी या ऐसी कोई भी एप्लीकेशन की ज्यादातर वेब सीरीज़ मनो जैसे एक तरीके का " ब्रेन वाश " करनेका आन्दोलन छेड़े हुए हे. इनके अनुसार एक से ज्यादा व्यक्ति के साथ सम्भोग करना कोई गलत बात नहीं हे , ये आपकी मर्जी का विषय हे , शराब पीकर धुत होना या  गांजा मरना आज के ज़माने क साथ रहना हे तभी आपको cool का लेबल मिलेगा।  शादीशुदा होकर भी किसी और से शारीरिक संबंध बनान अयोग्य नहीं हे। 
कहानिया अलग अलग हे , पात्र अलग अलग हे परन्तु मनो उदेश्य एक सा हे।
माँ बाप समझते हे की हमारा सुपुत्र - सुपुत्री इंटरनेट से दुनिआ जीत रहे हे पर उन्हें क्या पता वो तो ऑनलाइन कंटेंट की भ्रामक दुनिआ में विहार कर रहे हे।  देश और दुनिआ में क्या चल रहा हे इनसे इनका कोई वास्ता नहीं हे , ये तो PUBG  की सेना में व्यस्त हे। 
आज के ज्यादातर युवा सोचते हे एक ही लाइफ मिली हे क्यों खाने, पिने , सोने और अय्यासी करने में निकाल दे।  और फिर जब असफलता से घिर जाते हे , तब फेसबुक और इंस्टाग्राम पे अपने आस पास के लोगो की सफलता देखकर अपने आपको , अपने नसीब को और अपने गरीब या माद्यम वर्गीय माँ बाप को कोसते हैं। अभी के युवा मानते हे की ज्ञान की पुस्तक पढ़ना, योग ध्यान और साधना करना , गीता का पठन करना वगेरा सब बुढ़ापे के काम हे  जवानी का नहीं , परन्तु उन सबको में पूछना चाहता हूँ की अगर आपको ६०-७० की उम्र में ज्ञान मिल बभी गया तो उसका करोगे क्या ? अगर अपने १८ से ३० की आयु में ज्ञान प्राप्त किया हे , योग साधना से अपने मन को जीता हे , सेवा के संस्कार हे  तो आप पूरा जीवन एक कलात्मक तरीके से व्यतीत कर सकते हे। 
में १५ साल से आद्यात्मिक मार्ग से जुड़ा हुआ हु , मेने देखा हे की जो लोग शराब , ड्रग्स और अय्यासी में लगे हुए हे उन्हें शुरुआत के दौर  में आनंद मिलता हे, परन्तु वो मर्यादित होता हे , उसका अंत घोर निराशा , असफलता और तनाव की और ले जाने वाला हे , ना उनके चहेरे में कोई चमक ना आवाज में दम , ना जीवन का कोई लक्ष्य और ना अपने स्वास्थ्य का ध्यान
परन्तु जो युवा व्यायाम , योग ,ध्यान ,ज्ञान , सत्संग से जुड़ा हुआ हे उनमे  एक अजब सा तेज झलकता हे , वे औरो को सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करते हे. ऐसे लोग अपने को तो सफल बनाते ही हे, पुरे समाज को भी एक स्वस्थ वातावरण प्रदान करते हे.

राजसिक और तामसिक मार्ग पहेले आनंद देता हे परन्तु बाद में निष्फलता और तनाव। जबकि सात्विक मार्ग आरम्भ में कठिन एवं अरुचिकर लगता हे परन्तु वह कभी ना ख़तम होने वाले परम आनंद को प्रदान करने वाला होता हे...

-Vijay Shah

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