शादी तो नहीं हुई पर संसार आज भी राधा- कृष्ण ही जपता हे!!

एक बार राधा अपने प्रियतम कान्हा की तस्वीर बना रही थी , उसने सब कुछ बहुत सुन्दर बनाया, अप्रतिम रंग भरे, परंतु कान्हा के पाँव नहीं बनाये। कान्हा ने जब अपनी तस्वीर देखि तो उन्हें आश्चर्य हुआ.. उन्हों ने मंद मुस्कान के साथ पूछा , " हे प्रिय राधा , तुमने मेरी लाजवाब आकृति बनाई हे, परंतु मेरे पाँव कहा हे"
राधा ने कान्हा की आँखो में आँखे डाल कहा, " तुम बहोत ही चंचल हो श्याम, चरण बनाऊ और कही मुजसे दूर भाग गए तो!!??"

आज ५००० वर्ष पश्चात भी राधा और क्रिष्ण का नाम साथ में लिया जाता हे, जबकि उन दोनों की शादी किसी और के साथ हुई थी.. पर उनका प्रेम संसार के इन सारे  बंधनो और रीती रिवाजो से ऊपर था. उनके ह्रदय के तार ऐसे जुड़े हुए थे की भले ही राधा का विवाह  आयान के साथ और कान्हा का  रुक्मणी के साथ हुआ था , पर संसार तो राधा को ही श्याम के साथ देखती हे.. उनके जीवनकाल में काल में काफी ऐसी लीलाए हुई जो पवित्र प्रेम का प्रतिक हे..
एक दिन  राधा बीमार हो गई थी, इस कारन राधा के पिता वृषभान और माता कीर्ति ने राधा को घर से बहार जाने से मना कर दिया। इस वजह से आज राधा अपने श्याम से नहीं मिल सकती थी। कान्हा सुबह से जमुनाजी के किनारे अपनी प्रेयसी का इंतज़ार कर रहे थे. लंबे समय की प्रतीक्षा के बाद कान्हा अपने आप को रोक नहीं पाए.. परंतु उन्हें पता था राधा के घर में पराये पुरुषो का आना मना था.. कान्हा ने जट से योजना बनायीं, पास के एक घर से एक गोपी के वस्त्र चुराए और स्त्री वेश धारण कर लिया। लंबे घुँघराले बाल तो थे ही. भागते हुए गए राधा के घर.. उनके पिताजी को बताया की वह राधा की सबसे प्रिय सखी हे.. और उन्हें राधा के कक्ष में प्रवेश मिल गया. जाते ही उन्होंने राधा को अपनी बाजुमें लपेट लिया, इस आलिंगन के बाद राधा को अपने प्रियतम को पहचानने में एक क्षण भी नहीं लगा. लंबे प्राहर तक सब कुछ भूल कर दोनों एक दूसरे में ही खोये रहे..
ऐसे कई सरे प्रसंग थे जो सुनके आज भी हमारा तन- मन प्रेम से भर जाये।
महाभारत के बाद एक दिन कृष्ण अपने कक्ष में बैठे थे.. उन्हें आज गोकुल की ,  गोपियो की और खास कर राधा की बहुत याद आ रही थी. उन्हों ने एक पत्र लिखा और अपने सखा उद्धवजी के हाथो गोकुल भिजवाया.. सारी  गोपिया या यूँ कहो सारा गोकुल कन्हैया के विरह में व्यथित  मुर्जाया हुआ था... जैसे ही उन्हें पता चला की मथुरा से कान्हा का सन्देश आया हे, सब बावरी बन के भागने लगी , नाचने गाने लगी.. उद्धवजी पत्र निकाल कर पढना शुरू करे उससे पहले ही सबने उनके हाथ से छीन लिया, जिसके हाथ में जो टुकड़ा आया बस वो लेके अपने सीने से लगा के चली गयी.. और कई दिनों तक उस टुकड़े को ही दिन रात  देख के रोती रहती थी.. यह पवित्र प्रेम देख कर उद्धवजी का गला भर आया.. उन्हें एहसास हुआ की इन गोपियो  प्रेम के  आगे तो उनकी भक्ति कुछ भी नहीं।


राधा पुराण में यह उल्लेख हे की जब कान्हा की याद और विरह वेदना हद से ज्यादा बढ़ जाती तब राधा कई बार जमुनाजी में कूद कर अपने मानव जीवन का अंत करनेका प्रयास कर चुकी थी.. परन्तु अपने स्वामी श्री कृष्ण के आदेश से जमुनाजी हर बार राधा को अपनी गोद में समेट लेती, उसे सांत्वना देती और वापस किनारे छोड़
आती.
एक गुजराती लोक गीत हे जो राधा और कृष्ण का प्रेम दर्शाता हे और गरबा में भी बरसो से गाया जाता हे और  मेरे ह्रदय के काफी करीब हे..


He Vaansali tara mota bhaag,
Ne riye Kaana ne haath,
Ane ame gopiyoon, ame avi jogan gopiyoon,
A Kone Riye Kaana ni Vaat.
Sar sar par sadhar amar tar anusar, kar kar var
dhar mel kare hari har sur avar achhar ati manhar, bhar bhar ati ur harakh
bhare nirkhat nar pravar, pravar gun nirjar, nikat mukat sir savar name ghanra
pat fararr gharr pad ghunghar, rangbhar sundar shyam rame....[2]
Rudi ne rangili re vaahlaa taari vaansali re lol
Rudi ne rangili re vaahlaa taari vaansali re lol
Ashad ucharam ... Megh malharam ...bani baharam
... jaldharam Dadoor dakaram .. Mayur pukaram .... tadita
tarama vistaram  Na lahi samharam ...pyaas apaaram ...
nandakumaram nirkhyari  Kahe Radhe pyaari .. mein balihari ... Gokul aavo giridhari ... re ji re ... Gokul aavo Giridhari
re tame Gokul aavo Giridhari ! vaage taara, jhaanjhar no jhanaaar jo halve halve haalo re raani tame raadhikaa re
ji...Rudi ne rangili re vaahlaa taari vaansali re lol


ओ बांसुरी, तुम कितनी भाग्यशाली हो तुम हमेशा कान्हा के हाथ में रहती हो , और हम गोपीयो , हम प्रेम में तड़पड़ती गोपियो का कोई नहीं हे जो कान्हाको  उन के प्रति जो हमारा प्रेम हे वो जाके बताये।
समस्त ब्रह्माण्ड के स्वामी को बस एक नजर देख ले तो हमारा अस्तित्व परिपूर्ण हो जायेगा .
हमें भी अपने करकमल में उठा लीजिये और
अपने आप में एक बना दीजिये.
ओ बांसुरी तुम्हारे सुर कितने मधुर , अद्वितीय और मन मोहक हे , ये पुरे संसार को आनंदित कर देता हे,
जब कान्हा मोर मुकुट पहन के गरबा खेलता हे, गाता हे और उसके घुंघराले बाल जब हवा में उडते हे , सृष्टि के सरे रंग बिखरते हे तो मानो पुरे ब्रह्माण्ड  में इससे अधिक सुन्दर कुछ और हे ही नहीं।


प्रिय कन्हैया  , तेरी मुरली मनमोहक और रंगीली हे.
आषाढ़ ऋतू ज़ूम रही हे , मेघा को आवाज दे रही हे , और बहार ला रही हे...  झरानों का  बहाव , बदलो की गरज , मोर की चहक और संसार के सारे आनंद तुजमें ही समाये हे.. तुम असीम और परिपूर्ण हो..


तेरे लिए मेरी प्यास कभी तृप्त नहीं हो
सकती, प्यारी राधा नन्द कुमार के विरह में अश्रु बहाती हे , में आपके लिए सब कुछ त्याग करने को तैयार हूँ , तुम आप गोकुल आ जाओ ओ गिरधारी, वापस आ जाओ गिरधारी , वापस आ जाओ गिरधारी.
ओ राधा , तुम्हारे पायल की जनकार बज रही हे.
प्रिय कन्हैया  , तेरी मुरली मनमोहक और रंगीली हे.
जय श्री कृष्णा !!

Picture Source : Internet
Gujarati lyrics of song taken from cock studio
youtube link translated in hindi by Vijay Shah

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